PMs letter disclosed by wikileaks

If our beloved PM Dr. Manamohan Singh would have got a chance to reveal his thoughts, probably that's how it would have been. प्रिय प्रधानमंत्री जी से मेरी सहानुभूति है और उनके लिए इस काल्पनिक पत्र का असली खुलासा!

विकीलीक्स का एक और खुलासा ..मनमोहन सिंह ने खुद देश के नाम सन्देश लिखा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपनी दुनिया भर की आलोचना से तृस्त हो गए और उन्होंने अपना पक्ष रखने का निर्णय लिया!
पंद्रह अगस्त को अपने भाषण के बाद उन्होंने ये ख़त देश को सुनाने के लिए लिखा था लेकिन वो मौका उन्हें दिया नहीं गया! बारिश में ख़त भीग गया और उन्हें बेमन से लौटना पड़ा!
विकी लीक्स ने ये ख़त उनके घर से निकली रद्दी में से बरामद किया !

"मेरे प्यारे देशवासियों . आज मैं आप सबसे अपने मन की बात कहना चाहता हूँ. मुझ पर हर कोई आरोप लगाता रहता है की मैं कुछ बोलता नहीं हूँ. कमजोर हूँ और एक कठपुतली हूँ ! मुझे भी आज आप लोगो से शिकायत करनी है! आखिर मुझे भी अपनी भावनाएं व्यक्त करने का हक है! पहले तो  आप मुझे समझाओ  की रामलीला मैदान में इकठ्ठा होने से या जंतर मंतर पे धरना देने से देश का विकास कैसे होगा. अगर जो कानून आप कह रहे है वो मैं बना भी दूं तो क्या होगा. इतने सारे कानून पहले से हैं !  हमने सूचना का अधिकार एक्ट बना दिया लेकिन आप लोग हैं कि उसका पूरी तरह इस्तेमाल ही नहीं करते. ये सारे प्रोफेसनल्स जो अपने ऐसी ऑफिस छोड़ के रामलीला मैदान में आ गए... ना तो सूचना के अधिकार का प्रयोग करते हैं न वोट देते हैं..और न ही किसी भी तरह से प्रशासन में कोई भी योगदान देते हैं. अपना एक घंटा बचाने के लिए किसी भी बाबू को तुरंत रिश्वत दे देते हैं.. आधी जनता के पास पीने का पानी नहीं है तो आप सरकार को गाली देते हैं और खुद जाने कितना पानी बर्बाद करते हैं. और मुझे समझ में नहीं आता कि ये कोल्ड ड्रिंक क्यूँ पीते हैं.. उसमे कुछ होता तो है नहीं..मैंने सुना है एक लीटर ड्रिंक बनाने में फैक्टरी कई लीटर पानी बहा देती है. और जिम का कांसेप्ट तो मुझे समझ में नहीं आया. एक खाली पैकेट कूड़ेदान में डालने में आपको आलस आता है लेकिन जिम में घंटो पसीना बहाते हैं. देश में गरीबी है और आप शादी , पार्टी में लाखो रुपये उड़ा देते हैं. दस लाख कि गाडी लेंगे पर डीज़ल वाली ! अरे भाई सब कुछ मैं थोड़े करूंगा ..बिना आप लोगो के एक्टिव पार्टीसिपेशन के कोई बदलाव नहीं आ सकता . आप जो नियम क़ानून हैं पहले उनका तो यूज करो.फिर नए कानून कि दुहाई देना ! और ये मीडिया वाले बड़े अजीब लोग हैं. कोई मर रहा होगा तो उसकी फोटो लगा देंगे लेकिन उसे बचायेंगे नहीं क्यूँ कि ये उनका काम नहीं है! क्यूँ भाई ..आप इंसान नहीं हो क्या! अगर मीडिया वाले टी आर पी बढाने कि बजाये लोगो को और जागरूक बनाये तो कितना कुछ हो सकता है लेकिन आपको तो राखी और कटरीना की पड़ी रहती है ! और बाकी टाइम मेरी बुराई.
आपको इतनी दिक्कत है तो बताओ ...है कोई और आपके पास पी ऍम बनाने लायक. माना मैं उतना अच्छा लीडर नहीं हूँ लेकिन मैंने तो कहा नहीं था कि मुझे पी ऍम बना दो. आपने कोई अच्छा नेता ही नहीं चुना तो मजबूरन मुझे ही ये बोझ उठाना पड़ा. हम तो केवल आपके प्रतिनिधि हैं. हमारे हाथ में सब कुछ नहीं है. असली ताकत तो जनता के पास ही होती है. आप अपने मतलब के लिए किसी कि भी जी हुजुरी कर लेते हो और हम देश में राजनीतिक संतुलन बनाये रखने के लिए कुछ कर दें तो हमें कमजोर कहते हो. अरे आपने खुद ही अपने आप को कमजोर बना रखा है. आपको बिजली पानी सब चाहिए लेकिन इनके संरक्षण में खुद कुछ नहीं करना. आपके सामने कुछ गलत हो रहा हो तो कौन टेंशन ले कह के आगे बढ़ जाते हो. और ये किसान जो बेचारे गरीब हैं उनके लिए हम प्रोग्राम बनाते हैं और जो पहले से अमीर हैं वो बी पी एल कार्ड बनवा के उनका हिस्सा मार लेते हैं. अब ये सब मैं थोड़े रोक सकता हूँ. ये काम तो आपको और मीडिया को करना होगा. ब्लैक में गैस आप लो, और सप्लाई न हो तो हमें गाली दो!  अपराधियों को वोट आप दो और हम इलेक्सन रेफोर्म न करें तो हमें गालियाँ दो. टैक्स चोरी , ब्लैक में बिना बिल के सामान आप लें, भ्रष्ट नेताओ कि रैली में आप जाएँ, मार्केट में होर्डिंग और स्पेकुलेसन आप करें, और इकोनोमी कमज़ोर  हो तो हमें गाली दें. अगर आपके सामने कुछ गलत हो रहा है और आप कुछ नहीं करते तो आप भी उतने ही ज़िम्मेदार हैं. अरे जब आप सब मिलके संसद को हिला सकते हो तो इन छोटे मोटे भ्रष्ट लोगो के खिलाफ कुछ क्यूं नहीं करते! हम सब मिलके ही , मेहनत और ईमानदारी से हिंदुस्तान को आगे ले जा सकते हैं. मेरी आप सबसे अपील है कि आलोचना करने के बजाये खुद को और अपने आसपास के सिस्टम को सुधारने में हिस्सा लें , देश अपने आप आगे बढेगा!
जय हिंद!"

आपका
मनमोहन सिंह
दिनांक १५ अगस्त २०११
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